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Welcome To Yuva Bharat

युवा भारत एक ऐसे भारत के निर्माण के लिए प्रतिज्ञाबद्ध है, जो समृद्ध है, जो समृद्ध एवं स्वावलम्बी राष्ट्र हो। जिसका दृष्टिकोण आधुनिक प्रगतिशील एवं प्रबुद्ध हो और जो अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं मूल्यों से सगर्व प्रेरणा ग्रहण करता हो तथा एक ऐसी महान विश्वशक्ति के रूप में उभरने में समर्थ हो, जो विश्व शांति तथा न्याययुक्त अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को स्थापित करने के लिए विश्व के राष्ट्रों में अपनी-अपनी प्रभावशाली भूमिका का निर्वाहन कर सके।

संगठन का लक्ष्य एक ऐसे लोकतंत्रीय राज्य की स्थापना है जिसमें जाति, सम्प्रदाय अथवा लिंग का भेद-भाव किए बिना सभी नागरिकों को राजनीति, सामाजिक एवं आर्थिक न्याय समान अवसर, धार्मिक विश्वास एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो सके।

संगठन विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान तथा समाजवाद पंथ निरपेक्षता और लोकतंत्र के सिद्धान्तों के प्रति सच्ची आस्था एवं निष्ठा रखेगी तथा भारत की प्रभुसत्ता एकता और अखण्डता को कायम रखेगी।

वैश्वीकररण के इस दौर में पूरा विश्व भारत की तरफ आशान्वित होकर देख रहा है, क्योंकि जब-जब विश्व जाति अंधकार के घोर तमस व निराशा में फँसती है, तब-तब यहाँ का एक युवा सन्यासी पूज्य विवेकानन्द बनकर संसार को पुनः आशा की किरण दिखाता है और पूरी मानव जाति में विश्वबन्धुत्व तथा ‘‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’’ का सन्देश प्रवाहित कर माँ भारती को विश्वगुरू के तौर पर प्रतिस्थापित करता है।

‘‘युवा’’ सिर्फ अवस्था का बोध कराने वाला शब्द नहीं है, यह शब्द व्यक्ति में निहित अदम्य ऊर्जा व साहस का बोध कराता है जो अल्हड़पन में सहज ही गा उठता है :-


मन मस्त फकीरी धारी है,
बस एक ही धुन जय - जय भारत ।।

अब प्रश्न उठता है अपने इस ‘‘युवा भारत’’ संगठन की आवश्यकता क्यों है ? उत्तर सहज है कि काम कर रहे तमाम सामाजिक संगठन अपने मूल उद्देश्य से भटक चुके हैं, राजनैतिक पार्टियों की दलगत तथा धर्मगत व जातिगत नीतियों ने सम्पूर्ण राष्ट्र की नींव हिलाकर रख दी है, कहते हैं जब बाँस खोखले हो जाते हैं तो उनसे घरौंदे नहीं बना करते, सिर्फ आवाजें निकला करती हैं और स्थिति में ‘‘दृष्यन्त कुमार’’ की वह पंक्तियाँ सहज स्मृत हो उठती हैं,

तुम्हारे पाँव के नीचे, कोई जमीन नहीं, कमाल यह है कि तुम्हें यकीन नहीं।।

एक ऐसा मंच, जो विभिन्न सामाजिक आयामों के प्रति सिर्फ सम्वेदनशील ही नहीं, अपितु स्पष्ट राय व प्रभावी नीतियाँ रखता है उसी का नाम ‘‘युवा भारत’’ है। हम ‘‘जोड़ो, तोड़ो नहीं’’ के सिद्धान्त का सम्मान करते हैं पर यदि देश के शीर्ष विश्वविद्यालयों से देश विरोधी नारे लगे तो यह स्वीकार नहीं। शून्य से शिखर तक, गाँव से शहर तक, प्रबुद्ध से निरक्षर तक, समाज के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति से लेकर, अन्तिम व्यक्ति तक, अधिकारों व सुविधाओं का नियोजित विकेन्द्रीकरण व ‘‘व्यक्ति नहीं राष्ट्र सर्वोपरि’’ की भावना युवा भारत संगठन की मूल आत्मा है। राष्ट्र हमारा आराध्य है, राष्ट्रभक्ति हमारा संविधान है।


अब जाग उठो और कमर कसो मंजिल की राह बुलाती है। ललकार रही हमको दुनिया, भेरी आवाज लगाती है।।

देश की राजनीति में जब तक 60 से 80 प्रतिशत युवाओं की भागीदारी नहीं होगी तब तक ना तो सत्ता बदलेगी और ना ही व्यवस्था बदलेगी। बुजुर्गों ने जिन्होंने पूरा जीवन देश की सेवा की है उनका हम हृदय से सम्मान करते हैं। लेकिन आज राजनीति में 60 से 70 प्रतिशत पुराने लोगों का कब्जा है। और इनमें से ज्यादातर लोग क्रिमिनल की तरह काम कर रहे हैं और उनमें जो भी अच्छे और सच्चे हैं वो थके हुए हैं या उनसे धोखा हुआ है या बार-बार ठगे गये हैं वो। उनसे हम अब बड़े परिवर्तन की उम्मीद नहीं कर सकते इसलिए बड़ा परिवर्तन युवाओं के द्वारा ही होना है और यह हमारी प्रतिबद्धता है कि आगे हम देश में जो बड़ा बदलाव लाना चाहते हैं उसमें 60 से 80प्रतिशत युवाओं को नेतृत्व का अवसर देंगे ये हमारा संकल्प और प्रतिबद्धता है। भगवान राम, भगवान कृष्ण आचार्य चाणक्य, नेता जी सुभाष चन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आज़ाद व भगत सिंह आदि के द्वारा क्रान्ति इसलिए संभव हुई क्येंकि वो युवा थे, व भगवान राम भगवान कृष्ण आचार्य चाणक्य का सपना इसलिए साकार हो पाया क्येंकि उन्होंने खुद ही काम किया और खुद ही कमान संभाली। 1857 से लेकर 1947 तक व आज़ादी के 69 वर्षों में काम युवाओं ने किया और कमान संभाल रखी थी बुजुर्गो ने। इसलिए जो अपेक्षित परिवर्तन होना था वो देखने को नहीं मिला और देश के साथ धोखा हुआ अब हम ये नहीं होने देंगे, देश के सामाजिक, राजनैतिक, नेतृत्व में जो बुजुर्ग हैं सोचें कि उन्होंने देश और युवाओं के लिए क्या किया और जब आज तक नहीं हुआ तो आगे क्या अपेक्षा की जा सकती है। भविष्य का आधार दो ही चीजें होती हैं - एक अतीत व दूसरा वर्तमान। अतीत आधारशिला होता है और भविष्य उसका परिणाम होता है, तो आज तक जो भी हुआ है उसमें जहाँ भगवान राम, भगवान कृष्ण व आचार्य चाणक्य सफल हो पाए वहीं 1857 से लेकर अब तक देश के साथ धोखा हुआ देश के युवाओं के साथ धोखा हुआ है। अतः अब युवाओं को काम भी करना है और खुद ही नेतृत्व संभालना है अर्थात काम भी करना है और कमान भी संभालनी है तभी पूर्ण परिवर्तन होगा। सत्ता भी बदलेगी और व्यवस्था भी। अधिकांश सामाजिक और राजनैतिक संगठनों ने युवाओं का उपयोग किया है अतः जितने भी सामाजिक और राजनैतिक संगठनों है एवं जाति वर्ग एवं समूहों के संगठन हैं उन सब के युवाओं से हम आवाहन करते हैं कि वे सब राष्ट्र निर्माण के कार्य में आगे आएँ और एक बड़ी भूमिका निभाएँ और साथ हम ये संकल्प भी करते हैं कि इस परिवर्तन की लड़ाई में 60 से 80 प्रतिशत युवाओं का ही नेतृत्व होगा। और लगभग 20प्रतिशत जिन बुजुर्गों ने प्रामाणिकता से काम किया है उनका भी मार्गदर्शन एवं नेतृत्व देश को मिलेगा आप भी युवा भारत संगठन से जुड़ें और समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में सहयोग करें। युवा भारत